कॉन्फेडरेशन ऑफ फ्री ट्रेड यूनियन्स ऑफ इंडिया ने मनाया मई दिवस

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वाराणसी।कॉन्फेडरेशन ऑफ फ्री ट्रेड यूनियन्स ऑफ इंडिया के तत्वावधान में नगर निगम कर्मचारी संघ भवन में अपराह्न 3 बजे से मई दिवस मनाया जिसमें राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, नगर निगम कर्मचारी संघ,जलकल कर्मचारी संघ,फेरी पटरी ठेला, महिला घरेलू कर्मचारी संघ, उत्तर प्रदेश आंगन बाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका समिति, ड्राइवर महासंघ, सेवानिवृत कर्मचारी पेंशनर्स एसोसिएशन आदि संगठन के पदाधिकारी सम्मिलित रहे।


इस अवसर पर संघ भवन में एक सभा आयोजित की गई,जिसकी अध्यक्षता श्रीमती माया पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व संचालन मनोज कुमार अध्यक्ष नगर निगम कर्मचारी संघ ने किया।सभा को सम्बोधित करते हुए शशिकान्त श्रीवास्तव जिलाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा कि किसी संस्थान / कारखाना / निजी प्रतिष्ठानों में श्रमिक / मजदूर ही काम करते हैं। नियोजक कोशिश करता है कि कम मजदूरी या वेतन देकर श्रमिकों एवं मजदूरों से अधिक काम लें। श्रमिकों को अपने अधिकार की जानकारी नहीं रहने के कारण उन्हें मालिकों की बात माननी पड़ती है। और उनका शोषण शुरू हो जाता है। इस लिए श्रमिको को लेबर राइट्स (श्रम अधिकार) की जानकारी होनी चाहिए। अन्यथा उन्हें शोषण का शिकार होना पड़ेगा।आज देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मजदूर ही हैं।

इसके बावजूद मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधारने में न तो उद्योगपतियों को चिंता है और न ही सरकार को। बेचारा गरीब मजदूर करता है गम की खेती और पीता है आसुओं का खारा जल।संचालन कर रहे नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि देश के लगभग 94 प्रतिशत कामगार असंगठित क्षेत्र से आते हैं। इतनी बड़ी आबादी की स्थिति बद से बदत्तर होना किसी लोकतांत्रिक सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। किन्तु सरकार श्रमिकों/कामगारों के जीवन स्तर सुधारने की जगह उन्हें आर्थिक तंगी की आग में झुलसाने, शोषण की ज्वाला में ढकेलने का काम कर रही है। बेधड़क, अंधाधुंध सार्वजनिक उपकरणों को निजी कंपनियों के हाथों सौंपती जा रही है सरकार। ऐसा करने से श्रमिकों/मजदूरों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ेगा। इसके अलावा श्रम सुधार के नाम पर सभी श्रम कानूनों को समाप्त कर केवल चार ही कानून सरकार बनाने जा रही है। यह श्रमिकों के हित पर कुठाराघात है। इससे श्रमिको/मजदूरों के मुँह पर ताला लग जाएगा। 



शोषण के खिलाफ हड़ताल करना तो दूर की बात होगी, कोई आवाज भी बुलंद नहीं कर सकता।अवधेश चतुर्वेदी व सुरेंद्र श्रीवास्तव संरक्षक द्वय जलकल कर्मचारी संघ ने कहा कि कुछ राज्य सरकारें तो केन्द्र सरकार से दो कदम आगे बढ़ गयीं हैं। तीन राज्य सरकारें (उतर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश) ने तो उद्योगपतियों की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तीन साल तक श्रम कानूनों को शिथिल करने का निर्णय भी ले चूंकी हैं। अब श्रमिक आठ घंटे के बजाय 12 घंटे काम करेंगे। तीन साल तक न तो शोषण के खिलाफ आवाज बुलन्द कर पायेगें और न हड़ताल। सभा को सम्बोधित करते हुए श्रीमती माया पाण्डेय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने सभी के विचारों को सुनते हुए कहा कि अब सवाल उठता है कि सरकारें ऐसा कदम क्यों उठा रही हैं? इसका एक ही कारण है कि श्रमिक/मजदूर जागरूक नहीं हैं। वे अपने अधिकारों को नहीं जानते या यों कहें कि अपने अधिकार के लिए लड़ना नहीं चाहते। राजनीतिक दलों से जुड़े श्रमिक संगठनों ने मजदूरों को संगठित नहीं कर पा रहे है क्योंकि वे दलगत भावनाओं से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। 



सी.एफ.टी.यू.आई. एक स्वतंत्र श्रमिक संगठन है। इसके द्वारा मजदूरों/श्रमिकों में जागरूकता लाने और उन्हें उनके अधिकारों से अवगत कराने के लिए पूरे देश में संगठन द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। सभा में सर्वसम्मति से निम्न प्रस्ताव पारित करते हुए सरकार से मजदूर हित में समाधान की मांग की।उचित वेतन पाने का अधिकार संविधान में सभी नागरिकों को सम्मानजनक जिन्दगी जीने की व्यवस्था है। किसी भी क्षेत्र में काम करनेवाले श्रमिकों/कामगारों को इतना तो वेतन मिलना ही चाहिए जिससे उनकी जिन्दगी खुशहाली से बीते। ठीक ढंग से बच्चों का लालन-पालन, पढ़ाई-लिखाई हो सके। साथ ही भविष्य के लिए कुछ बचत भी हो सके। इसके लिए सरकार ने न्यूनतम मजदूरी तय की है।




 उससे कम वेतन/मजदूरी देने वाले नियोजकों पर कानूनी कार्रवाई करने की व्यवस्था है। अन्तराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों मजदूरों का न्यूनतम वेत्तन 18000 रूपये तय की गयी है। किन्तु केन्द्र एवं राज्य सरकार इसे अनदेखी कर रही है।समान कार्य के लिए समान वेतन पाने का अधिकार : सामान कार्य के लिए सामान वेतन मजदूरों को मिलना चाहिए। मजदूरी भुगतान में स्त्री-पुरूष में भेदभाव नहीं होना चाहिए।समान अवसर सभी श्रमिकों/कामगारों को काम का समान अवसर मिले। इसके लिए किसी तरह के भेद भाव करना गैर कानूनी है। इसके लिए सरकार नये रोजगार सृजन करती है। रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा इसका उदाहरण है।समानता का अधिकार इस अधिकार के तहत अमिकों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव वर्जित है। अगर किसी नियोजन में श्रमिकों के साथ भेद भाव किया जाता है तो सक्षम पदाधिकारी से शिकायत करने पर कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान है। सामाजिक सुरक्षा : सामाजिक सुरक्षा वह सुरक्षा है जो संगठनों के माध्यम से अमिकों के साथ घटित होनेवाली कुछ घटनाओं और जोखिमों से बचाव के लिए दिया जाता है। सम्मानजनक जिन्दगी जीने के लिए सामाजिक सुरक्षा की प्रमुख भूमिका होती है। 





इसके अंतर्गत पेंशन, दुर्घटना बीमा, चिकित्रा भत्ता, रोग, मातृत्व, विकलांगता, वृद्धवस्था तथा मृत्यु है। श्रमिकों के बच्चें बच्चियों को निःशुल्क उच्य शिक्षा की एवं छात्रवृत्ति की व्यवस्था, दो बच्चियों की शादी में एक निश्चित रकम देने की व्यवस्था समेत अन्य देव सुविधाएँ आती हैं।शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकारः इसके अंतर्गत यदि सरकार या किसी प्रतिष्ठान में श्रमिकों का शोषण होता है तो उसके खिलाफ हड़ताल करने, नारेबाजी के साथ प्रदर्शन करने आदि काम किया जा सकता है।कार्य स्थल पर सुरक्षा कार्य स्थल पर सुरक्षा नहीं रहने के कारण अक्सर कामगार दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं और कभी-कभी तो उनकी मृत्यु भी हो जाती है। काम शुरू होने के पूर्व यह देखना आवश्यक है कि सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था एवं अन्य सुविधाएँ है या नहीं। अगर नहीं है तो प्रबंधन पर सुरक्षा एवं अन्य सुविधाएं करने की मांग करें।कानूनी अधिकारः शोषण के खिलाफ उठाये गये कदमों के बावजूद यदि सरकार या नियोजक की कानों पर जूँ नहीं रेंगती है तो श्रमिक या श्रमिक संगठन कानूनी लड़ाई लड़ सकती है। इसके लिए मामले को श्रम अदालत, उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय ले जा सकते है।




सभा के अन्त में उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया गया।जिन्होंने श्रमिक अधिकारों को लेकर अपने प्राण न्यौछावर किये और शशिकान्त श्रीवास्तव जिलाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए 


सभी श्रमिक/कामगार साथियों से  शपथ दिलाते हुए अपील किया कि मजदूर अपने अधिकारों को समझे और एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष  करने के लिए कमर कस लें क्योंकि इतिहास रहा है संघर्ष से नियोजक क्या, सरकार को भी आप झुका सकते हैं।



 सभा को सर्वश्री माया पाण्डेय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, शशिकान्त श्रीवास्तव जिलाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, मनोज कुमार अध्यक्ष नगर निगम कर्मचारी संघ,अवधेश चतुर्वेदी, सुरेन्द्र श्रीवास्तव, प्रवीण वर्मा, आलोक भट्टाचार्य जलकल कर्मचारी संघ, सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय वरिष्ठ उपाध्यक्ष, सुधांशु सिंह सम्प्रेक्षक,अतुल सिंह, अध्यक्ष मनरेगा कर्मचारी संघ,बाबू लाल मौर्य प्रदेश संरक्षक आंगन बाड़ी कार्यकर्ती कर्मचारी सहायिका संघ,वाचस्पति मिश्र, मंत्री, संजय श्रीवास्तव, अतुल पाठक,नीरज सिंह, विनायक मिश्रा, शिवचरण मौर्य,प्रकाश यादव, अहमद अली, मोहम्मद शम्स, अंसार अहमद नगर निगम कर्मचारी संघ,अभिषेक निगम, सचिव फेरी पटरी ठेला ब्यवसायी समिति,प्रेम चंद गुप्ता, गोविन्द,अनमोल निगम,सरस्वती मिश्रा,सवितापटेल,रेखा,हेमादेवी,प्रीतिजायसवाल,प्रेरणा,किरणपाण्डेय,रितेशजायसवाल,महेश श्रीवास्तव अध्यक्ष संग्रह अमीन संघ एस टी विभाग आदि ने संबोधित किया।

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