काशी विद्यापीठ में डॉ. प्रीति की काव्य- पुस्तक 'कांच की गेंद में सपने' का हुआ विमोचन

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वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मानविकी संकाय के तत्वावधान में बुधवार को 'सृजन-उत्सव' कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ. प्रीति जायसवाल की काव्य- पुस्तक 'कांच की गेंद में सपने' का विमोचन एवं परिचर्चा हुआ। अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा काव्य रचना आसान नहीं होता। कविता मनुष्यता का पाठ सिखाती है।


इसमें भावों के फूलों को भाषा की धागा में पिरोना होता है। भावों और हमारे अंतःकरण के बीच अनुनाद की स्थिति उत्पन्न होती है जो हमें कविता के स्तर तक ले जाती है । मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बलिराज पांडेय ने कहा कि एआई के दौर में कविता पढ़ना इसलिए भी जरूरी है कि हमारी स्वाभाविकता बनी रहे। प्रो. चंद्रकला त्रिपाठी ने कहा कि इन कविताओं में बहुत सारी जमीन खुल रही है। प्रीति की नकल करके कोई नहीं लिख सकता। प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि इन कविताओं में एक इंद्रधनुष है, जिससे जीवन की आभा उत्पन्न होती है। रचनाकार दुनिया सुंदर बनाने की कोशिश करता है। प्रो. श्रद्धानंद ने कहा कि संग्रह में कविताएं आकार में छोटी-छोटी हैं और बड़ी-बड़ी बातें कहती हैं । इनमें कोमलता के साथ तीक्ष्णता भी है। संकायाध्यक्ष प्रो. अनुराग ने कहा कि कांच पारदर्शी होता है और ऐसे कितने लोग हैं जो अपने सपने को पारदर्शी बना पाते हैं। 



डॉ. प्रीति ने यह साहस किया है। हासिया इस कविता- संग्रह का मुख्य पक्ष है। डॉ. विजय रंजन ने कहा कि प्रेमचंद से लेकर प्रीति मैम तक जो विद्यापीठ में साहित्य सृजन चला आ रहा वह आगे भी ऐसे ही चलता रहे।संचालन दीपशिखा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अनुकूल चंद राय ने किया। इस अवसर पर प्रो. संतोष गुप्ता, प्रो. रामाश्रय सिंह, प्रो. राजमुनि , डॉ. पवन गुप्ता, डॉ.सुरेंद्र प्रताप सिंह प्रो शाहिना रिजवी, डॉ. रीना चटर्जी, प्रो सुरेंद्र राम, प्रो राजेश पाल, मनीष अंजना, वरुणा, आकाश, जनमेजय, रेनू आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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